Wishing everyone a Happy Earth Day on April 22nd! Take a moment to read this wonderful poem by Mamta Ma’am, reflecting on the significance of this day and our responsibilities toward the Earth, our Kartavya Path. Don’t forget to share it with your friends and family! 🌍💚
पृथ्वी दिवस है आया, हमने खुशियों के साथ मनाया।
जब बारी आई कुछ करने की, तो हमने फिर से बहाना बनाया।
समय नहीं है, पैसे नहीं हैं, और न जाने क्या-क्या।
मनुष्य होकर भी हम जताते निराशा??
क्या मुस्कान और दुआएँ भी नहीं हमारे पास?
कहते हैं, देने की नीयत हो तो, ईश्वर देते हैं साथ।
इस प्रकृति ने घर,हवा, पानी, भोजन इतना सब दिया,
क्या मनुष्य इतना कृतघ्न है;सब इसको चाहिए सदा।
जो बीत गया उसे छोड़ें, कुछ नया आज से अपनाएँ।
जो भी मिला है उसके लिए दें धन्यवाद और दुआएँ।
इस छोटे से ही कदम से देखो, हो जाएगा परिवर्तन।
मनुष्य प्रकृति का होगा साथ, तो होगा प्रकृति का संरक्षण।
छोटे-छोटे कदम ही मिलकर बड़े हो जाते हैं,
सब सोचें और प्रयत्न करें तो रास्ते नए बन जाते हैं।
आओ बनाएँ धरा को समृद्ध, सुंदर और पावन
खराब, दिनचर्या को छोड़ अपनाएँ अनुशासन।
आधुनिकता के नाम पर हमने जो कुछ है अपनाया,
आज देखो विनाश के किस मोड़ पर हमें ले आया।
जीने के तरीके बदलें, स्वाभाविकता अपनाएँ।
प्रकृति से नाता जोड़ें, उसे सँवारें और सजाएँ।
अब रोकें दुरुपयोग प्राकृतिक संसाधन का,
तभी सपना पूरा होगा प्रदूषण मुक्त जीवन का।
जीवन तो है धरा से ही, निभानी होगी ज़िम्मेदारी,
क्योंकि धरा और प्रकृति भी तो माँ हैं हमारी।
जलवायु, धरा या फिर वातावरण,
शोषण छोड़कर करना होगा इनका संरक्षण।
सृजन सृजन ही हो,अब नहीं हो शोषण का नाम,
जगे और जगाए हम,करें प्रकृति के विकास का काम
व्यर्थ न जाए अब प्रकृति का एक भी कण।
आओ मिलकर आज से सदुपयोग का ले प्रण।।
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Nice n true lines
Nice lines 👍