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5 Practical Gyan | बातों बातों में Practical Gyan | Taken from Mom’s Diary :D | Hindi

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Read this post containing 5 Practical gyan taken from my Mom's diary (actually stolen sshhh), I recently get to know that my mom wrote all the intellectual convo happened between her and my brother lol. So, comment below if you can relate with any of the gyan as this is the first time I'm posting something like this hehe.

  बातों बातों में Practical Gyan

Practical Gyan 1

एक दिन बातों बातों में मैंने अपने बेटे से कहा कि मैं इतनी मेहनत से काम करती हूं । अपना हर काम में टाइम पर करती हूं । ईमानदारी से करती हूं। अपना काम पूरा करके औरों के काम में भी मदद कर देती हूं फिर भी प्रधानाचार्य मुझसे खुश नहीं होती, हमेशा मेरे काम में कमी निकालती रहती है। मैं बहुत परेशान हूं।

बेटा:-  ठीक ही तो है अगर आप दिन रात मेहनत करते रहोगे,काम करते रहोगे, इमानदारी दिखाओगे, तो लोग आपको कुत्ता ही समझेंगे, गधा ही समझेंगे, क्योंकि कुर्सी तो उससे ही मिलेगी जिससे आराम करना आता है। जो अपने काम  को एक किनारे रख कर आराम से सुकून से धीरे-धीरे करते हैं , वही कुर्सी पर बैठने के काबिल है।

मैं :- हां , सही तो है ।

Practical Gyan 2

मैंने अपने बेटे से बातों बातों में एक बार कहा कि मैं जो हूं इतनी मेहनत करके बच्चों का पूरा ध्यान रखते, उसके भविष्य का ध्यान रखकर पूरी ईमानदारी से उनको उनका पाठ पढ़ाती हूं। उन्हें समझाती हूं ।अपने टाइम के अनुसार भी क्लास में जाती हूं । यहां तक कि मैं कभी 5 मिनट ऊपर भी कक्षा ले लेती हूं। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि पढ़ाने  में मुझे पता ही नहीं चलता कि कब इंटरवल हो गया और फिर भी वह बच्चे मुझसे खुश नहीं होते। मुझे ना पसंद करते हैं।

बेटा :- बिल्कुल ठीक, बच्चे क्यों ही पसंद करेंगे आपको । जब आप 40 मिनट के बजाय 45 मिनट पढ़ाओगे । अगर आप वही 40 मिनट के पीरियड में केवल 15 या 20 मिनट पढ़ाओ तो बच्चे आपके फैन हो जाएंगे । आपने देखा होगा कि जो टीचर पढ़ाता कम है, उन्हें बातों में उलझाता ज्यादा है, कुर्सी पर न बैठकर टेबल पर बैठता है, बच्चे उन्हीं के दीवाने होते हैं उन्हीं के फैन होते हैं। तो कोई आपको क्यों पसंद करें । कोई भी बच्चा पढ़ना नहीं पसंद करता इसीलिए आप को बदलना होगा।

 मैं :- बात में दम है।

Practical Gyan 3

बातों बातों में अपने बेटे से मैंने कहा कि आखिर दुनिया कहां जा रही है ,यहां पर मेहनतकश लोगों की तो कदर ही नहीं है। लोग दिखावे और झूठ को सच समझते हैं । ऐसे में ईमानदारी कहां गई। यहां तक कि अपने ही पैसे नहीं मिलते हैं अपने ही पैसे मांगने के लिए बहुत गिड़गिड़ाना पड़ता है । ऐसा लगता है जैसे हम अपने पैसे नहीं , उनसे एहसान मांग रहे हैं,

उनसे भीख मांग रहे हैं। बहुत दुख होता है यह सब देख कर । अरे भाई ! हमारे पैसे हमें जरूरत है इसमें इतना ताव क्या दिखाना । हमने अपने पैसे ही तो मांगे हैं ।चार खरी-खोटी और सुना देते हैं । पैसे तो देते नहीं, हमें इधर -उधर घुमाते रहेंगे।  परेशान करते हैं, भगवान से भी नहीं डरते ।।ऐसे में क्या होगा दुनिया का ।

बेटा – यही तो है एक बार प्लीज और सॉरी छोड़ कहना छोड़ दो। जो आपका हक है उसे गर्व से मांगो । कभी किसी के आगे गिड़गिड़ाओ नहीं। यह मत दिखाओ कि आपको बहुत ज्यादा जरूरत है। आपके अपने पैसे आपको चाहिए। अगर जिस दिन आपके अंदर यह भाव आ जाएंगे कि आप खुद ही अपने हक के लिए लड़ना है तो आपको खुद ही संबल मिलेगा । आप अगर किसी को अपनी जरूरत दिखाओगे तो  वह आपका फायदा ही उठाएगा ।

 मैं :- सही बात है।

Practical Gyan 4

मैं  – 1 दिन बातों बातों में मैंने अपने बेटे से कहा कि मैं कुछ भी कहने से पहले दस बार सोचती हूं कि कहीं सामने वाले को बुरा ना लग जाए। बहुत सोच समझकर  बोलती हूं , लेकिन वही सामने वाला कुछ भी  बेबाकी से बोल जाता है। उसे किसी की परवाह ही नहीं।

किसी को बुरा लगता है तो लगे। हमें क्या । जो सही था हमने कह दिया। मैं सोचती रह जाती हूं। मैं संकोची स्वभाव होने की वजह से बहुत परेशान रहती हूं ।अपनी सही बात भी नहीं कह पाती, और सामने वाला कुछ भी बोल कर चला जाता है। ऐसे में मैं क्या करूं समझ नहीं आता।

बेटा – आप तो हर काम उल्टा करते हो। आप इतना सोचते क्यों हो, जो बोलना है बिंदास बोलो। जो होगा देखा जाएगा, लेकिन कभी गलत मत बोलना। यदि सामने वाले ने गलत किया है तो सुनेगा , … सुनना पड़ेगा । इतना सोचने की जरूरत नहीं है । जब सामने वाला नहीं सोचता आपके बारे में  कि आपको बुरा लगेगा या भला लगेगा तो आप क्यों सोचते हो।

मैं –  ठीक है, मैं भी अब से ऐसा ही करूंगी।

Practical Gyan 5

एक दिन बातों बातों में मैंने अपने बेटे से कहा की दुनिया गर्त में जा रही है । बच्चों को ना टाइम से सोना है ना उठना है। बिना टाइम के खाते हैं बिना टाइम के सोते हैं । उन्हें समय का ही नहीं पता। नहीं तो हमारे समय में …. बच्चे सुबह ही उठ कर नहा धोकर अपना पूजा पाठ करके पढ़ाई करने लग जाते थे। घर के काम में हाथ बताते थे ।

लेकिन आजकल के बच्चे …बाप रे बाप! सुबह देर तक सोते रहते है। रात देर तक जागते हैं । पूरे टाइम फोन पर लगे रहेंगे । रात रात भर फोन लेकर बैठे रहेंगे काम – धंधा कुछ है नहीं, फिर भी दिखाएंगे कितना बिजी है। बताओ क्या करें ऐसे बच्चों का…….

बेट – अरे मम्मी!  आप भी ना!  कैसी बातें करते हो! जब रात देर तक जागेंगे , तो देर तक ही सोएंगे न। आपको पता है ना कि अब हर एक चीज डिजिटल हो गई है । अब ज्यादा से ज्यादा काम फोन पर करने पड़ते हैं और नेटवर्क रात में ही अच्छे आते हैं इसीलिए हमें दिन का काम रात को करना पड़ता है और हम दिन में सोते हैं। काम धंधा ….. हम काम धंधा ही करते हैं फोन पर। आप नहीं समझोगे, … छोड़ो!

मैं – अच्छा तो इसका मतलब  तुम लोग उल्लू बन गए हो।

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Kiran
Kiran
3 years ago

obviously
very very prectical

Aryan
Aryan
3 years ago

so relatable

Savita
Savita
3 years ago

bahut khoob

Kavita
Kavita
3 years ago

it is reality

Lalit
Lalit
3 years ago

Very nice

Mamta
Mamta
3 years ago

very brilliant work mam

Kritika
Kritika
3 years ago

✌️ 👌 👌 👌

Kangna sudan
Kangna sudan
3 years ago

It is reality

Lavi
Lavi
3 years ago

waah kya kahne

Shikha
3 years ago

fantastic thoughts ma’am

Naresh
Naresh
3 years ago

gjb gyan👌👌

Written by Vibha Singh

Story Teller and Proud Teacher

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