Mera Natkhat Bachpan
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मेरा नटखट बचपन ||
अपने बचपन से तुमको मिलवाती हूं,
कितनी नटखट थी मैं तुमको बताती हूं,
कौन सी घटना में बयां करूं,
किस्से मेरे कितने अनोखे कैसे बताऊं |
यह बात उन दिनों की है
जब गर्मी में बहुत गर्मी होती थी
हवा नहीं होती थी तब ऐसी और कूलर की
गर्मी में हम पानी छिड़कते थे,
और जल्दी से जल्दी चिक और पर्दे डाल देते थे |
यह भी बात है ऐसे ही एक दोपहरी की
जब मैंने भाइयों के संग मिलकर
शरारत की जहरीली थी |
मां तो मेरी थी नहीं, नानी संग रहती थी
बूढ़ी वह इतनी झुक कर चलती थी |
लेट गए थे सब कमरों में करने को आराम
हम भी मस्ती कर रहे थे पूरी घमासान,
खरबूजे खाकर धोए थे बीज नानी ने
छुप छुप कर खा रहे थे बीज छेड़खानी में |
नानी थकी थी, उस पर बूढ़ी थी
मुंह खोल कर सोती थी
क्योंकि बत्तीसी की कमी थी
खुराफात दिमाग में ऐसी आई
मुट्ठी भर बीज में ले आई |
दोनों को दिखा कर मैं बोली
देखो बीज पुलिया में कैसे जाएं
आओ तुमको इसका खेल दिखाए
वह भी दोनों थे पूरे महाकाल
कहने लगे करके दिखा अपना कमाल |
आव देखा ना ताव बीज भरे नानी के मुंह में
पहुंचे बीज मुंह के जरिए उनके गले में
खो खो कर के उठी नानी परेशानी में,
दोनों भाग कर छुप गए,
मैं पकड़ी गई नादानी में |
पूछो ना फिर क्या हाल हुआ
दो थप्पड पड़े कमर पर खाना भी नसीब ना हुआ,
पर क्या जनाब: हम भी चिकने घड़े थे
थोड़ा रो धो कर फिर शरारत करने खड़े थे |
अब तो यादें रह गई हैं उस जमाने की
खुले खुले घर, सहन और आंगनबाड़े की,
कौन करता है अब शरारत उस जमाने की
अब तो बचपन गुम हो रहा है साजो सामान पर |
एसी कूलर की हवा में, बंद खिड़की दरवाजे है
मोबाइल पर गड़ी नजरें, आंखों पर चश्मा साजे हैं
खुद हंसते हैं और रिश्ते दूर करते हैं
अपनों में भी अपनों के बीच अकेले हैं
पर सोशल मीडिया से पक्के रिश्ते हैं |
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very nice
Amazing poem mam 😍🥰
Haha…can’t stop laughing…u were always like this
Wow…my rockstar
Omg, it’s amazing . mam u r brilliant teacher as well a brilliant writer also 🎊