पानी की किल्लत से जूझता हुआ गांव बस किसी तरह गुजारा कर ही रहा था।
ये बात उस समय की है जब फसलेे वर्षा के पानी पर ही निर्भर हुआ करती थी और रोज सवेरे कुएं से पानी लेने गांव की सब औरतें जया करती थी तो साथ में एक दूसरे की बातों का भी आदन प्रदान हो जाता था। मुझे याद है कुएं में पानी भी कम हो चला था तो अब सबको जल्दी पानी भरने की होड़ सी लगी रहती थी और आपस में भेद भाव व लडाई बढ़ गई थी, अब एक दूसरे की बातों का जवाब और उनके लिए एक दूसरे की बातों को अदल बदल के पेश किया जाता था।
कुछ बूढ़ी काकी सबको समझाती भी थी के ये पानी बांट के भरो सबके बच्चो को मिलना चाहिए, लेकिन समझता कौन था, दूसरी ओर दिनेश और उसकी पत्नी अनीता जो गांव के मुखिया थे इस पानी की समस्या से कैसे निपटा जाए इसी चिंता में थे, बारिश का नाम भी आसमान में नजर नहीं आता था तो कोई राहत नहीं थी।
नदी भी गांव से मीलों दूर बहती थी तो कोई उम्मीद नहीं थी।
फसले बर्बाद हो रही थी सब प्रधान दिनेश से रोज जाकर कुछ करने को कहते थे। दिनेश ने अपने काफी बड़े अफसरों से बात की तो उन्होंने भी कोई खास उत्सुकता नहीं दिखाई।
भगवान से प्रार्थना करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
गांव के एक छोटे से विद्यालय के भूतपूर्व शिक्षक लाल सिंह दिनेश के पास आए और बोले,
“प्रधान जी सरकार से एक छोटी सी नहर की मांग करके देखिए क्या जवाब आता है”।
“मैंने प्रयास किया है मास्टर जी लेकिन कोई सुनता ही नहीं है”। प्रधान जी बोले।
“चलो में तुम्हारे साथ आज बड़े दफ्तर चलता हु दोनों बात करेंगे”।
दोनों दफ्तर गए तो वहां पे हाल ही में एक नए अफसर विनोद का तबादला हुआ था जो जवान ओर काफी होनहार थे।
मास्टर जी ओर प्रधान जी दफ्तर में जाते है तो विनोद उन्हें देखते मास्टर जी के पैरो में गिर जाते है।
ये देख प्रधान ओर मास्टर जी दंग रह जाते है।
फिर मास्टर जी पूछते है” बेटा मैने पहचान नहीं”
“मास्टर जी दस साल पहले आप हमारे गांव में पढाते थे सोलाहापुर में, में विनोद वही बच्चा जो आपको बहुत तंग किया करता था ओर पढ़ाई में मार खाता रहता था, लेकिन आपके जाने से पहले के कुछ सबक ने मेरी पूरी ज़िन्दगी बदल दी और आज में यहां अफसर हूं, सब आपकी वजह से मास्टर जी”।
ये सुन मास्टर जी खुश हो गए ओर बोले “अरे ये तू है चुन्नू , कितना बड़ा हो गया रे तू “।
मास्टर जी गर्व महसूस कर रहे थे तभी प्रधान जी ने इशारा किया।
“अच्छा बेटा चुन्नू हम एक समस्या लेकर आए यहां पीतमपुरा गांव से, बारिश ना होने की वजह से बहुत पानी की समस्या है, एक कुआ है वो भी बस सूखने वाला है सब प्यास ओर भूख से परेशान है पूरी फसल मार गई” मास्टर जी बोले।
“मास्टर जी आप बोलिए क्या करना है,” विनोद बोले।
“बेटा बारह मील दूर उस नदी से गांव में एक नहर बनवा दो”
“मास्टर जी काम आसान नहीं, लेकिन ये प्रोजेक्ट पास तो मैने कर दिया लेकिन काम के लिए मजदूर मिलना इस समय कठिन है” विनोद ने बोला।
इतने में प्रधान जी बोले, ” हम सब गांव के लोग काम कर लेंगे आप बस ये महरबनी कर दीजिए”।
“जी ये तो में कल कागज तैयार करवा के ले आऊंगा और परसो से आप काम शुरू कर सकते है” विनोद ने सन्तुष्ट करते हुए कहा।
“बहुत ध्यनवाद चुन्नू बेटा” मास्टर जी बोले।
“मास्टर जी, शर्मिंदा नहीं करिए आपकी वजह से ही में आज यहां हु ये तो कुछ भी नहीं जो किया है।”
कुछ ही महीनों में नहर का काम पूरा हुआ ओर गांव में पानी की समस्या का निदान हुए सबने मास्टरजी को धन्यवाद दिया ओर अपने बच्चो को प्रतिदिन विद्यालय भेजना शुरू किया।
By Hitesh
Let us know what do you guys think about it, in comment section below or
Also Contact us if you interested in writing with us.
Stay tuned for more articles like this.
For sponsor any article or your article you can mail us with your logo ready and details.
For free and amazing images, Visit Pexels and give credit to appreciate their work