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Happy Raksha Bandhan
रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन का त्यौहार सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी है, उसे ढेरों आशीष देती है और भाई, बहन की रक्षा का वचन देता है। बहन को उपहार स्वरूप कुछ भेंट भी देता है।
पौराणिक कथा
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि राजा बलि ने अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए 101 यज्ञ किए जिससे देवता गण परेशान हो गए और उन्होंने जाकर विष्णुदेव से याचना की। प्रभु, हमें बचाइए, हमारा सिंहासन डोल रहा है। राजा बलि यज्ञ करके अपनी शक्तियों को बढ़ा रहा है ताकि वह स्वर्ग पर विजय प्राप्त कर सके।
विष्णु जी ने राजा बलि के दान के विषय में काफी कुछ सुन रखा था कि उसके द्वार से कभी कोई याचक खाली हाथ नहीं लौटता। विष्णु जी ने वामन रूप धारण करके धरती लोक पर गए और वहां जाकर राजा बलि से भिक्षा याचना किया राजा बलि उस समय पूजा करके उठे थे और अपने द्वार पर याचक को देखकर उन्हें दान देने के लिए गए। राजा बलि वामन को विचार के रूप में स्वर्ण आभूषण और सैकड़ों गाय दान में देने लगे। वामन देव बहुत ही छोटे कद काठी के थे। उन्होंने राजा बलि से कहा,
राजन मुझे यह स्वर्ण आभूषण और गौए नहीं चाहिए। मुझे तो केवल तीन पग भूमि चाहिए। राजा बलि ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और कहा कि मैं आपको तीन पग भूमि देने का वचन देता हूं बताइए आप कहां भूमि लेना चाहेंगे। वामन ने तुरंत अपने कदम बढ़ाए और एक पग में धरती को नाप लिया और दूसरे पग से स्वर्ग को नाप लिया। अब तीसरा पग रखने की जगह नहीं बची। तब वामन देव ने राजा बलि से कहा कि, हे राजन यह तो दो ही पग हुए, तीसरा पग कहां रखूं?
राजा बलि ने कहा, प्रभु आप चिंता ना कीजिए मेरा वचन असत्य नहीं होगा। आप अपना तीसरा पग मेरे सिर पर रखिए। बामन देव ने ऐसा ही किया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रख दिया और उन्हें पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि ने प्रभु से कहा, कि आपने मुझे पाताल लोक में भेज दिया है परंतु मैं आपसे एक वरदान चाहता हूं। भगवान बामन बोले, बताओ तुम्हें क्या चाहिए?
प्रभु मुझे हर क्षण आपके दर्शन चाहिए। मैं जब भी अपने महल से बाहर निकलू या महल में प्रवेश करूं मुझे आपके दर्शन मिलने चाहिए।
भगवान विष्णु (जो वामन देव के रूप में थे) ने राजा बलि की बात को स्वीकार कर लिया और उसके दरबार में द्वारपाल बन गए। अब वह जब कभी भी द्वार से बाहर जाता तो उसे विष्णु भगवान के दर्शन होते जब वह महल में प्रवेश करता तो उसे विष्णु भगवान के दर्शन होते। इस तरह से विष्णु भगवान राजा बलि के दरबार में द्वारपाल के कार्य पर संलग्न हो गए।
उधर माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु की याद सताने लगी। जब उन्हें भगवान के स्वर्ग ना आने की बात पता चली तो वह बहुत परेशान हुई। नारद जी ने उन्हें एक उपाय बताया। नारद जी बोले कि हे लक्ष्मी मां! आप यह रक्षा सूत्र लेकर जाइए और राजा बलि के हाथों में बांधकर उसे अपना भाई बना लीजिए और उससे उपहार स्वरूप में विष्णु भगवान को वापस स्वर्ग ले आइए।
माता लक्ष्मी ने ऐसा ही किया। उन्होंने रक्षा सूत्र लिया और लेकर राजा बलि के दरबार में गई और उनको अपना भाई मान कर उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधा और उपहार स्वरूप उन्होंने विष्णु जी को मांग लिया। राजा बलि ने स्वीकृति दे दी। तब मां लक्ष्मी विष्णु जी को अपने साथ स्वर्ग ले आई और तब से यह रक्षाबंधन का त्यौहार प्रचलित है।
इस दिन बहने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। भाई के मंगल की कामना करती हैं। भाई उन्हें उपहार स्वरूप कुछ भेंटे देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।
ऐसे ही एक और कहानी प्रचलित है जब शिशुपाल ने पूरी भरी सभा में कृष्ण को गालियां देना शुरू किया तो भगवान श्रीकृष्ण उसकी गलती माफ करते रहे। क्योंकि भगवान ने उसकी माता को वचन दिया था कि वह उसकी सौ गलतियों को माफ करेंगे। परंतु उसके बाद उसकी गलतियों को माफ नहीं किया जाएगा।
शिशुपाल गालियां देता हुआ सौ अपराध पार कर चुका था जब वह अगली गलती करने जा रहा था,उसी समय भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। सुदर्शन चक्र चलाने की वजह से भगवान की उंगली थोड़ी सी कट गई और उसमें से रक्त बहने लगा। रक्त बहता देख कर, पांडवों की पत्नी द्रोपदी भागी भागी आई और अपनी साड़ी के आंचल से एक पट्टी फाड़ कर श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया और इस तरह से भगवान की उंगली का रक्त बहना बंद हुआ। तभी भगवान ने द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया कि तुम जब कभी किसी परेशानी में होगी तो मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा।
एक बार जब कौरवों की सभा में द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था उस समय कृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रोपती की लाज बचाई और उनकी रक्षा की।
तब से यह रक्षाबंधन का पर्व प्रचलित है इस दिन बहनें भाई के घर राखी,मिठाई और कुछ उपहार लेकर जाती हैं और भाई को टीका आरती करके राखी बांधी हैं और उसकी मंगल कामना करती हैं। भाई बहन को राखी के बदले कुछ भेंट उपहार में देता है और बहन की रक्षा का वचन देता है। इस तरह से यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है। राखी का त्यौहार सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस साल यह त्यौहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा।
।।रक्षा बंधन की ढेरो शुभकामनाए।।
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happy raksha bandhan
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