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मन की बात, मन से बात | Mann Ki Baat | Hindi

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हे मन! तू इतना चंचल क्यों है रे! 

एक पल में इधर एक पल में उधर 

तेरी गति का तो कोई सानी नहीं 

जैसे हो तू जादू मंतर ।।

             एक क्षण में घर,दूसरे ही क्षण विदेश चला जाता है।

             पता नहीं तू हर वक्त क्यों इतना बड़बड़ता है। 

             कभी सच्चे तो कभी झूठे सपने दिखाता है।

             कभी तू छोटे बच्चे सा खिलखिलाता है। 

             तो अगले ही पल उदास हो जाता है।

हे मन! तू भोला है,नादान है,ठग है, चपल है या भगवान है?

तू क्यों इतनी प्रपंच में पड़ता है।

 तू कोई नेता नहीं… ना ही विपक्षी है, 

जो इतने आरोप प्रत्यारोप करता है।

              खुद ही वकील बनकर सवाल करता है,

              और खुद ही जज बनकर फैसला सुना देता है।

               हे मन! तेरे ही कारण लोग संत बनते हैं, 

              तेरे ही सवालों से घबरा कर आत्महत्या करते हैं,

              और तेरे ही उफान से हथियार उठाकर लड़ते हैं। 

              जो तुझ पर नकेल कस गया,वह संत,देशभक्त बन गया।।

रे मन! तू कभी अपनी इच्छाएं इतनी फैला देता है,

कि उसे पूरा करने को लोग संघर्षरत रहते हैं ।

यह मन ही है जो माया व अवसाद में ले जाता है ।

यह मन ही है जो माया से बचाकर बैरागी बनाता है।

               तू मुक्ति का विमान है,अपनी राह से ना भटक।

               रे मन! खुद पर काबू रख, थोड़ा आराम तो कर,

                इतना चंचल ना बन, इतना ना झटक मटक।। 

               इधर-उधर भटकने से कुछ नहीं मिलने वाला,

               तुझपे जिम्मेदारी बड़ी, तू है मेरा रखवाला।

 रे मन! पता नहीं क्या खो गया है मेरा, 

परेशान सी क्या खोजती रहती हूं ,

कुछ अधूरा सा है,ना जाने क्या पाना चाहती हूं।

 दुनिया की चमक में मन नहीं लगता, 

 बस हर वक्त ही मन रोता रहता है।

                कुछ समझ नहीं पाती,ना जाने किसकी अभिलाषा है।

                 कुछ तो पाना है विभा, इतना समझ में आता है ।

                 इस नश्वर संसार में तू मन क्यों अटक जाता है।

                 इस माया से बाहर निकाल, सत की राह पकड़!!

 राह मुश्किल है, तय तो करना होगा।

 किसलिए संसार में आए,यह समझना होगा।

 रे मन! बाह पकड़; ले चल पार मुझे ।

तू निरंतर कर भजन मिलेंगे राम मुझे ।

नदी की धारा हो, नदी में मिलना होगा ।

 यही अंतिम सत्य है ,समझना होगा।।

रे मन! तू इतना चंचल क्यों है….!

….थोड़ा आराम तो कर।।

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Mamta Mehndiratta
Mamta Mehndiratta
23 days ago

Man ki bat man k bare me manbhavan shabdo me👍

Written by Vibha Singh

Story Teller and Proud Teacher

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