बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, बुद्धि और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित है| ये दिन शिक्षा और कला से जुड़े हुए लोगो के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है|
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी के आवाहन से चतुर्भुज मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई और संसार को ध्वनि अथवा वाणी प्राप्त हुई|
हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है| इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है|
वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
इस दिन पीले चावल पीले फल, पिली मिठाई, हल्दी, केसर पीले या सफेद रंग के फुल आदि के साथ विधि विधान पूर्वक मां सरस्वती की वंदना करते हैं|
इस दिन पिला वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है
मां सरस्वती को बागेश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी, वीणावादनी आदि नामो से जाना जाता है|
इस दिन विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या और कला के क्षेत्र में वृद्धि होती है|